नेशनल हेराल्ड केस: ED के सूत्रों का दावा- वित्तीय फैसले लेने के सबूत नहीं, सभी नेताओं ने लिया था मोतीलाल वोरा का नाम
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के करीबी सूत्रों ने कहा है कि पूछताछ के लिए बुलाए गए कांग्रेस नेताओं में से किसी ने भी यह साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं दिया कि एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) और यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड सौदे से जुड़े सभी वित्तीय निर्णय स्वर्गीय मोतीलाल वोरा द्वारा लिए गए थे। बता दें कि कांग्रेस पार्टी के सबसे लंबे समय तक कोषाध्यक्ष रहे वोरा का 2020 में निधन हो गया। दिलचस्प बात यह है कि जब राहुल गांधी से यंग इंडियन-एजेएल सौदे के वित्तीय पहलुओं के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने अधिकारियों से कहा था कि सभी लेनदेन वोरा द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं। ईडी के सामने राहुल और सोनिया के अलावा कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन कुमार बंसल ने भी यही नाम लिया था। हालांकि ईडी के सूत्रों के अनुसार अगर ऐसी कोई बैठक हुई तो ये सभी नेता बैठक से संबंधित दस्तावेज पेश करने में विफल रहे। सूत्रों ने यह भी कहा कि ईडी के पास खड़गे को बुलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था जब संसद सत्र चल रहा था क्योंकि वह यंग इंडियन कंपनी के एकमात्र कर्मचारी हैं। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत दिल्ली में कांग्रेस के स्वामित्व वाले अखबार नेशनल हेराल्ड के परिसर में स्थित यंग इंडियन के कार्यालय को अस्थायी रूप से सील कर दिया है। ये मामला कांग्रेस द्वारा प्रवर्तित यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित है। भाजपा नेता और अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में एक निचली अदालत के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआईएल) द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में कुछ कांग्रेस नेता धोखाधड़ी में शामिल थे। नेशनल हेराल्ड 1938 में अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित एक अखबार था। अखबार एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा प्रकाशित किया गया था। 2008 में एजीएल 90 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज के साथ बंद हो गई। सुब्रमण्यम स्वामी का दावा है कि यंग इंडिया ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए “मनमाने” तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को “अधिग्रहित” किया।