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हर पाप का घड़ा भरता है, कल ये महाशय प्रधानमंत्री पद पर करेंगे दावा, उद्धव ठाकरे ने कहा, पढ़ें इंटरव्यू की मुख्य बातें

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेधड़क, बेखौफ साक्षात्कार की देशभर में जबरदस्त चर्चा है। साक्षात्कार के दूसरे भाग में ‘ठाकरे’ ने अत्यंत व्यथित मन से कहा, ‘जिन्हें मैंने अपना माना वे लोग ही छोड़कर चले गए, मतलब वे लोग कभी भी हमारे थे ही नहीं। उन्हें लेकर बुरा लगने की कोई वजह नहीं है। उद्धव ठाकरे ने एक और सच्चाई बताई, ‘भाजपा में आज बाहर से आए लोगों को ही सब कुछ दिया जाता है। मुख्यमंत्री पद से विरोधीपक्ष के नेता पद तक।’ उद्धव ठाकरे ने स्पष्टता से कहा, ‘महाविकास आघाड़ी का प्रयोग गलत नहीं था। लोगों ने स्वागत ही किया था। ‘वर्षा’ छोड़कर जाते समय महाराष्ट्र में अनेकों के आंसू बहे। किस मुख्यमंत्री को ऐसा प्यार मिला है? उन आंसुओं का मोल मैं व्यर्थ नहीं जाने दूंगा।’ उद्धव ठाकरे ने देश में लोकतंत्र के भविष्य, विपक्षियों को खत्म करने के लिए जारी ‘ईडी’, ‘सीबीआई’ के दुरुपयोग आदि पर भी निशाना साधा और बेहद ज्वलंत शब्दों में एलान किया, ‘दिल्लीवालों को शिवसेना बनाम शिवसेना का झगड़ा लगाकर महाराष्ट्र में मराठी माणुस के हाथ से ही मराठी माणुस का सिर फुड़वाना है!’साक्षात्कार के दूसरे हिस्से में उद्धव ठाकरे अधिक सहज नजर आए। उद्धव जी, एक ही प्रश्न फिलहाल देश में उत्सुकता से पूछा जा रहा है। केजरीवाल से ममता तक सभी का वही सवाल है। सब कुछ अपनी एड़ी के नीचे रखने की ये जो राक्षसी महत्वाकांक्षा पनपती है तब उन्हें विपक्ष का डर सताने लगता है। मैं भी मुख्यमंत्री था। आज नहीं हूं, पर आपके सामने पहले की तरह ही बैठा हूं। क्या… फर्क पड़ा क्या? सत्ता आती है और जाती है। फिर से वापस आती है। मेरे लिए कहें तो सत्ता हो या न हो, कोई फर्क नहीं पड़ता। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक बार कहा था, ‘सत्ता आती है, जाती है। लेकिन देश रहना चाहिए।’ देश रहने के लिए सभी पार्टियों ने मिलकर काम नहीं किया तो हम ही अपने देश के शत्रु कहलाएंगे, क्योंकि देश में आज भी कई समस्याएं मुंह बाये खड़ी हैं। रुपया निम्नांक तो महंगाई उच्चांक पर पहुंच गई है। बेरोजगारी है। ऐसे तमाम मुद्दों पर किसी का ध्यान नहीं है। सतही तौर पर लीपापोती की जा रही है।