राष्ट्रपति कोविंद ने बोडो भाषा के प्रचार-प्रसार और विकास का आह्वान किया
तमुलपुर (असम)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को असम सरकार से बोडो और साहित्य के प्रचार-प्रसार तथा विकास के लिए हरसंभव प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंनेयहां बोडो साहित्य सभा (बीएसएस) के 61वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि इस सम्मेलन ने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है कि बोडो को स्कूल और उच्च शिक्षण संस्थानों, दोनों में शिक्षा के माध्यम के रूप में शामिल किया जाए। राष्ट्रपति ने कहा कि बोडो को राज्य की आधिकारिक घोषित किया गया है और एक का संरक्षण तथा प्रचार-प्रसार समाज व सरकार दोनों की जिम्मेदारी है। मैं मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से इस दिशा में हरसंभव प्रयास करने का आह्वान करता हूं। उन्होंने जोर देकर कहा कि शांति व सद्भाव और केंद्र तथा असम सरकार द्वारा की गई विकास पहलों के चलते ‘बोडोलैंड भूभागीय क्षेत्र’ (बीटीआर) में और अधिक शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना हुई है। उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर क्षेत्र में केंद्र और राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयासों से क्षेत्र से सद्भाव और शांति का माहौल मजबूत होता जा रहा है। इस बदलाव में विकास कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। मैं क्षेत्र के लोगों और सरकारों की सकारात्मक भूमिका की सराहना करता हूं। कोविंद ने 2004 में बोडो को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के प्रयासों के लिये पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान को भी याद किया। पश्चिम बंगाल, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, सिक्किम, नागालैंड और बांग्लादेश और नेपाल सहित 35 लाख से अधिक लोग बोडो बोलते हैं। उन्होंने कहा, मुझे खुशी है कि आज सभा के सम्मेलन में इन राज्यों और देशों के प्रतिनिधि मौजूद हैं। उन्होंने कहा, कई विद्वानों तथा लेखकों ने बोडो और साहित्य को समृद्ध किया है। और अब तक 17 लेखकों को बोडो में उनके कार्यों के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। कोविंद ने अन्य भाषाओं के बोडो में अनुवाद कार्यों पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। कोविंद पूर्वोत्तर भारत की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान मंगलवार को यहां आए थे।