अन्तराष्ट्रीय

‘भारत से रूस पर दबाव डालने को कहा गया था, जो हमने किया’, यूक्रेन संकट के बीच एस जयशंकर का दावा

विदेश मंत्री एस जयशंकर फिलहाल न्यूजीलैंड दौरे पर हैं। आज ऑकलैंड में बिजनेस चैंबर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सिमोन ब्रिजेस के साथ उन्होंने लंबी बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कई बड़े दावे किए। इसी दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध की भी चर्चा की। इस युद्ध को लेकर एस जयशंकर ने बड़ा दावा किया। एस जयशंकर ने साफ तौर पर कहा कि भारत से रूस पर दबाव बनाने की अपील की गई थी। हमने यह किया भी। अपने बयान में विदेश मंत्री ने कहा कि जब मैं संयुक्त राष्ट्र में था तो सबसे बड़ी चिंता जपोरिज्जिया परामणु संयंत्र को लेकर थी क्योंकि उसके बहुत करीब लड़ाई चल रही थी। हमसे रूस पर इस मुद्दे पर दबाव बनाने का अनुरोध किया गया, जो हमने किया। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि अलग-अलग समय पर अलग-अलग चिंताएं भी हैं जिन्हें हमारे समक्ष विभिन्न देशों या संयुक्त राष्ट्र ने उठाया। मैं मानता हूं कि यह वह समय है जब हम जो भी कर सकते हैं, करने को इच्छुक हैं। अपने बयान में उन्होंने यह भी कहा कि मेरे लिए विश्व की विविधता प्रत्यक्ष तौर पर है और स्वभाविक है कि इससे अलग-अलग प्रतिक्रिया भी आएगी। मैं अन्य देशों की स्थिति का अनादर नहीं करूंगा क्योंकि उनमें से कई की प्रतिक्रिया खतरे का भाव, उनकी चिंता और यूक्रेन से तुलना के आधार पर है। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि इस स्थिति में वह देख रहे हैं कि भारत क्या कर सकता है, ‘‘जो निश्चित तौर पर भारत के हित में होगा, लेकिन साथ ही विश्व के हित में भी होगा। जयशंकर ने 16 सितंबर को अस्ताना में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात का संदर्भ देते हुए कहा कि अगर हम अपना रुख तय करते हैं और अपने विचारों को रखते हैं, तो मैं नहीं मानता कि देश उनका अनादर करेंगे, और यह हमारे प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) और राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन की बैठक में भी दिखा। उन्होंने भारत की संयुक्त सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की आकांक्षा पर भी बात की। जयशंकर ने कहा कि बड़ी समस्याओं का समाधान केवल एक,दो या यहां तक पांच देश भी नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब हम सुधारों को देखते हैं, तो हमारी रुचि सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में है। यह इच्छा इसलिए भी है क्योंकि हम अलग तरह से सोचते हैं और हम कई देशों के हितों और महत्वकांक्षा को आवाज देते हैं।