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स्थापना दिवस पर जानें दिल्ली की सत्ता के केंद्र UP के बनने की कहानी, बंगाल के था अधीन, आगरा भी रही राजधानी

आज आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा और महाकुंभ जैसे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले का आयोजन कर रहा उत्तर प्रदेश अपना स्थापना दिवस मना रहा है। उत्तर प्रदेश जहां देश की सियासत की दिशा तय करता आया है, वहीं सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी बेहद समृद्ध है। राम और कृष्ण की धरती वाले इस प्रदेश में जहां भगवान काशी विश्वनाथ दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी में विराजमान हैं। तो वहीं प्रयागराज का त्रिवेणी संगम भी इस प्रदेश को खास बनाता है। ऐतिहासिक धरोहरों से यहां का कोना-कोना समृद्ध है, तो अंग्रेजों से हुए संघर्ष की यादें भी प्रदेश के कई हिस्सों में भी मौजूद हैं। उत्तर प्रदेश ने गुजरते वक्त के साथ यूपी अपने आप को बदला है। यह प्रदेश अपनी पंरपराओं को सहेजते हुए आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है और इसकी बदौलत इसने बहुत कुछ हासिल किया है। यूपी शुरुआत से यूपी नहीं था। इसका जन्म किसी और नाम से हुआ था। इससे भी खास बात है कि अपने स्थापना दिवस के लिहाज से यूपी भले ही बुजुर्ग हो। लेकिन हकीकत में ये 2018 से ही अपना स्थापना दिवस मना रहा है। इससे पहले यूपी में स्थापना दिवस का आयोजन ही नहीं होता था। महाराष्ट्र में जरूर इसकी शुरुआत की गई थी। 24 जनवरी, 1950 को भारत के गवर्नर जनरल ने यूनाइटेड प्रोविंस आदेश, 1950 (नाम परिवर्तन) पारित किया था। जिसके अनुसार यूनाइटेड प्रोविन्स का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रखा गया। जनवरी, 1858 में लार्ड कैनिंग इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में आ बसे तथा उत्तरी पश्चिमी सूबे का गठन किया। इस प्रकार शासन शक्ति आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित हो गई। इसी क्रम में वर्ष 1868 में उच्च न्यायालय भी आगरा से इलाहाबाद स्थानांतरित हो गया। बाद में जनपदों का उत्तरी पश्चिमी सूबे में विलय किया जाना प्रारम्भ हुआ तथा इसे 1877 में ‘उत्तरी पश्चिमी सूबा तथा अवध’ के नाम से जाना गया। पूरे सूबे को 1902 में ‘यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ आगरा एंड अवध’ का नाम दिया गया। साल 1920 में विधान परिषद के प्रथम चुनाव के बाद लखनऊ में 1921 में परिषद का गठन हुआ। चूंकि गवर्नर, मंत्रियों तथा गवर्नर के सचिवों को लखनऊ में ही रहना था। इसलिए तत्कालीन गवर्नर, सर हरकोर्ट बटलर ने अपना मुख्यालय इलाहाबाद से लखनऊ स्थानांतरित कर दिया। 1935 तक सम्पूर्ण कार्यालय लखनऊ आ चुका था। अब लखनऊ सूबे की राजधानी बन चुका था, जिसका नाम अप्रैल 1937 में ‘यूनाइटेड प्रोविंस’ रखा गया तथा 24 जनवरी, 1950 में भारत के संविधान के अधीन इसका नाम ‘उत्तर प्रदेश’ किया गया।

 

 

 

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