मान सरकार राज्यपाल के खिलाफ न्यायालय का रुख करेगी; विधानसभा सत्र बीच में ही स्थगित
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य विधानसभा के दो दिवसीय सत्र में पेश किये जाने वाले तीन विधेयकों को मंजूरी देने से राज्यपाल के इनकार करने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी। सत्र के प्रथम दिन कार्यवाही शुरू होने के कुछ घंटों बाद, सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। यह सत्र 20-21 अक्टूबर के लिए बुलाया गया था। मान ने विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां से कहा कि उनकी सरकार सदन में कोई विधेयक पेश नहीं करेगी और विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का उनसे अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं नहीं चाहता कि राज्यपाल के साथ तकरार और बढ़े।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे आग्रह करता हूं कि जब तक हम यह सुनिश्चित नहीं कर देते कि यह सत्र वैध है, और राज्यपाल (विधेयकों को) मंजूरी नहीं देते, हम कोई विधेयक पेश नहीं करेंगे…।’’ मान के अनुरोध के बाद, विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का एक प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने मंजूरी दे दी। पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने तीन विधेयकों को मंजूरी नहीं देते हुए बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था। पंजाब में राजभवन और आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार के बीच तकरार पहले से कायम है। राज्यपाल ने कहा कि (मुख्यमंत्री) भगवंत मान सरकार को उनका सुझाव है कि वह इस कवायद को जारी रखने के बजाय मानसून या शीतकालीन सत्र बुलाएं। उन्होंने कहा था कि यदि सरकार अवैध सत्र बुलाने की दिशा में आगे बढ़ती है तो वह उपयुक्त कार्रवाई करने के लिए विवश हो जाएंगे, जिसमें विषय की राष्ट्रपति को सूचना देना भी शामिल है। इससे पहले दिन में, कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल की टिप्पणी का हवाला देते हुए जब विधानसभाध्यक्ष से यह सवाल किया कि क्या यह सत्र वैध है, तब सदन में शोरगुल देखने को मिला। संधवां ने सदन में कहा कि दो दिवसीय सत्र वैध है। उन्होंने कहा, ‘‘यदि सत्र हो रहा है तो यह वैध सत्र है। विधानसभाध्यक्ष के तौर पर, मैं इस सत्र को वैध मानता हूं।’’ उन्होंने कांग्रेस सदस्य प्रताप सिंह बाजवा द्वारा इस विषय पर व्यवस्था मांगे जाने पर यह टिप्पणी की। बाजवा विपक्ष के नेता भी हैं। संधवां ने जोर देते हुए कहा कि दो दिवसीय सत्र वैध है, जबकि कांग्रेस सदस्यों ने इस मुद्दे पर सवाल उठाना जारी रखा और राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री मान को लिखे एक पत्र का हवाला दिया, जिसमें इसे अवैध सत्र बताया गया है। बाजवा ने इस बात का जिक्र किया कि पुरोहित ने लिखा था कि यह अवैध सत्र है। उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि यह सत्र वैध है या अवैध’’ और विधानसभाध्यक्ष ने जवाब दिया कि यह वैध है। संधवां ने कहा, ‘‘मेरी राज्यपाल से कोई बातचीत नहीं हुई है।’’