भागवत अखंड भारत के बारे में अपना मतलब स्पष्ट करें : गहलोत
जयपुर| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के 15 साल में अखंड भारत बनने संबंधी कथित बयान पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि उन्हें अपने बयान का तात्पर्य स्पष्ट करना चाहिए।उन्होंने कहा कि भागवत को इस बारे में भी स्पष्ट करना चाहिए कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद खुद को सांस्कृतिक संगठन बताने वाले आरएसएस की क्या भूमिका है। वह ‘आजादी गौरव यात्रा’ के राजस्थान आगमन पर रतनपुर (डूंगरपुर) में आयोजित एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। भागवत के बयान का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा, ‘‘आपने मोहन भागवत जी का बयान पढ़ा होगा कि15 साल में अखंड भारत बन जाएगा। अभी अखंड भारत नहीं है क्या? उनको स्पष्ट करना चाहिए कि आपका अखंड भारत से तात्पर्य क्या है? मैं समाचारपत्र में पढ़ रहा था कि पाकिस्तान अफगानिस्तान…पीओके, भूटान, नेपाल … पता नहीं मोहन भागवत जी क्या कहना चाहते हैं।’’उल्लेखनीय है कि भागवत ने बुधवार को हरिद्वार में एक संत समागम में कहा था कि भारत को बड़ा होना है और इसका उदय धर्म के उदय पर निर्भर है। भारत की प्रगति की तुलना एक ऐसे वाहन से करते हुए जिसमें कोई ब्रेक नहीं है, आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि इसे रोकने की कोशिश करने वाले या तो एक तरफ हट जाएंगे या समाप्त हो जाएंगे।उन्होंने कहा था, ‘‘भारत को अब बड़ा होना ही है…धर्म का उत्थान ही भारत का उत्थान है…भारत जो अपने उत्थान की पटरी पर चल पड़ा है उसको पाए बिना रुकना नहीं है। इसको रोकने वाले या तो हट जाएंगे या मिट जाएंगे…ये नहीं रुकने वाला। ये ऐसी गाड़ी है जिसका एक्सलरेटर है ब्रेक नहीं है।’’ आरएसएस द्वारा साझा किए गए उनके भाषण के अंश के अनुसार, भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक के बी हेडगेवार ने अपने कार्यकर्ताओं को धर्म की रक्षा के लिए चौकीदार की भूमिका सौंपी थी। भाजपा के कुछ विरोधियों ने भागवत के बयान को ‘अखंड भारत’ बनाने से संबंधित टिप्पणी करार दिया है।गहलोत ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के समय सरदार पटेल ने तो आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था और तब इसने माफी मांगी थी तथा लिखकर दिया कि वह राजनीति में कभी नहीं आएगा और केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अब मैं पूछना चाहता हूं कि भाजपा सत्ता में आई है इसमें आपका (आरएसएस) कितना योगदान है? है या नहीं है?’’गहलोत ने कहा कि आरएसएस को अगर सामाजिक-सांस्कृतिक काम करना है तो वह छुआछूत, ऊंच-नीच मिटाने, सामाजिक सुरक्षा की बात करे या फिर खुलकर राजनीति में आए। उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस वाले हम पर छिपकर वार क्यों कर रहे हैं। वे कहते हैं कि हम सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यकर्ता हैं और पूरी राजनीति कर रहे हैं।’’मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘चाहे आरएसएस के आदमी हों, चाहे भाजपा के आदमी हों, इस देश में सबसे अधिक भ्रष्टाचार करने वाले अगर कोई लोग हैं तो यही लोग भरे पड़े हैं। देश में कोई सोच नहीं सकता कि इतना भ्रष्टाचार हो रहा है। भ्रष्टाचार कई गुना बढ़ गया है और लोग समझ नहीं पा रहे हैं। सब डरे हुए हैं इनसे।’’ इसके साथ ही गहलोत ने 2020 में अपनी सरकार पर आए राजनीतिक संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर फिर निशाना साधा।उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की बात करने वाले विधायकों की खरीद-फरोख्त कर चुनी हुई सरकारें गिरा रहे हैं। गहलोत ने कहा, ‘‘मध्य प्रदेश में आपने 22 विधायकों को 35-35 करोड़ रुपये में खरीदकर चुनी हुई सरकार गिरा दी, यह कहां का लोकतंत्र है। राजस्थान सरकार का आप देखिए … मेरी सरकार को गिराने के लिए अमित शाह, गजेंद्र सिंह शेखावत, धर्मेंद्र प्रधान …ये सब थे। हमारी पार्टी में इन्होंने तोड़-फोड़ शुरू कर दी। आप बताइए क्या यह लोकतंत्र है, कहां ले जाएंगे देश को?’’मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में कांग्रेस कमजोर नहीं है और अगर प्रधानमंत्री मोदी का मुकाबला कोई कर रहा है तो केवल राहुल गांधी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस की यात्रा पूरे देश को संदेश देने वाली है … सात साल का कुशासन है देश में, राज में आना एक बात है और धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर, वर्ग व के नाम पर तनाव पैदा करना दूसरी बात है। वह देश हित में नहीं हो सकता।